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Hon'ble Chief Justice of the Supreme Court of India Commentary on the statement of Dr. Dhananjay Chandrachud : सवाल पूछने से जेल में डाल देते, तो सत्ता से कैसे करें प्रश्न ?


भारत के सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय चंद्रचूड़ के बयान पर अभिव्यक्ति

चंद्रपुर की तानाशाही के खिलाफ लिमेशकुमार जंगम का संपादकीय लेख

माननीय न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। वे 13 मई 2016 से भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए। उनकी निष्पक्षता की लोग मिसालें देते हैं। उनके वक्तव्यों व विचारों की लोग काफी कद्र करते हैं। उनके कथन व विचारों पर लोग चलना चाहते हैं। जनता उनका अनुसरण करती हैं।

उन्होंने बीते वर्ष 23 मार्च 2023 को इंडियन एक्स्प्रेस व रामनाथ गोयंका फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक समारोह में प्रमख अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए मीडिया के स्वतंत्रता पर जोर दिया। खास बात यह है कि उन्होंने कहा – लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए पत्रकारों ने सरकार से तीखे सवाल पूछने चाहिये। हम आपकी बात से सहमत है लेकिन… हमारा उनसे अनुरोध है कि एक मामूली पत्रकार के तौर पर काम करते समय हमारे मन में चंद सवाल कौंधते है, कुछ हालात सरकार द्वारा ही ऐसे पैदा कर दिए जाते हैं कि हमें उनसे आज सवाल पूछना पड़ रहा है।

सरकार, सत्ता बेहद ताकतवर होती है, ऐसे में सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर झूठे केस दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जाएं तो सुप्रीम कोर्ट इसके लिए क्या सकारात्मक कदम उठाएगा ?
 2 साल पहले विज्ञापन व सहयोग के तौर पर पत्रकार को दी गई राशि को सरकार-सत्ता में बैठे नेता यदि एक्सटॉर्शन के रूप में पेश कर झूठा केस दर्ज कर दें तो वह पत्रकार खुद को दुनिया के सामने के बेगुनाह कैसे साबित करेगा ? कोर्ट में बेगुनाही साबित करते-करते बरसों लग जाएंगे, तब तक बेकसूर व सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकार को कितनी प्रताड़नाएं झेलनी पड़ेगी ? सरकार-सत्ता से सवाल पूछने वाले पत्रकार को सरकार के नेता, सरकारी पुलिस तंत्र अपने बंदूक के बल पर पत्रकार व उसके परिवार को आधी-आधी रात को जाकर धमकाएंगे, डराएंगे, अश्लिल गालीगलौज करेंगे, सताएंगे, अपमान करेंगे तो सुप्रीम कोर्ट उन पत्रकारों व उनके परिवारों को कैसे संरक्षण देगा ?

सरकार-सत्ता से सवाल पूछने वाले पत्रकार की नेताओं से अनबन होने पर, उन नेताओं के चेले-चपाटे, हर समय धमकियां देंगे, गालियां देंगे, झूठी शिकायतें पुलिस थानों में दर्ज कराएंगे। उन थानों में सत्ताधारी नेताओं के नुमाइंदे पुलिस अफसर चापलूसी में लिप्त बैठे हैं, उन्हें इन नेताओं से प्रमोशन चाहिये, कमाई वाली पोस्टिंग चाहिये, ऐसे में निर्दोष पत्रकार के खिलाफ झूठे अपराध दर्ज करने पर सुप्रीम कोर्ट बेकसूर पत्रकार को कैसे बचाएगी ?

गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, कलबुर्गी, और अभी हाल ही में पत्रकार निखिल वागले पर भाजपा के 400 गुंडों ने हमला किया, तब सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों की जान बचाने के लिए क्या सख्त कदम उठाएं ?
 मैंने, सत्ता, सरकार, सत्ताधारी नेताओं और उनके गुर्गों के खिलाफ अनेक सवाल उठाएं, तो मुझ पर तीन-तीन झूठे केस दर्ज कर मुझे सताया गया। न केवल मुझे बल्कि मेरे परिवार को, मेरे नन्हें बच्चों को, मेरे बुजुर्ग सास-ससूर को, रिश्तेदारों को, दोस्तों को, दोस्तों के परिवारों को, सत्ताधारी नेता के इशारों पर पुलिस ने बेतहाशा प्रताड़ित किया। दुश्मनों की महिलाओं का भी सम्मान करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज, उनका नाम लेकर राजनीति करने वाले असामाजिक तत्वों ने मेरे लेखन की सजा के तौर पर मेरे पत्नी को भी प्रताड़ित किया। माननीय सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों को प्रवचन तो दें रहे हैं कि वे सत्ता से तीखे सवाल करें। लेकिन इन तीखें सवालों के बदले में मैं और मेरे परिवार ने जो भूगता है, उसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते। मैं सुप्रीम कोर्ट का बहुत सम्मान करता हूं, क्योंकि बीते कुछ वर्षों में उन्होंने देश के हित में काफी ऐसे कठोर फैसले लिये हैं, जो हर किसी न्यायाधीश के लिए संभव नहीं है। जस्टिस लोया की हत्या जैसा मामला उनके सामने उदाहरण के तौर पर होने के बावजूद वे उनकी जान की परवाह न करते हुए इमानदारी से अपना काम कर रहे हैं। इसलिए उनको दिल से सैल्युट करने का मन करता है।

आज भी मैं सत्ता, सरकार और षड़यंत्रकारी नेताओं की पोल खोलते हुए सत्ता से लगातार तीखे सवाल पूछ रहा हूं। जब महाराष्ट्र और खासकर चंद्रपुर में कांग्रेस की सत्ता थी, तब भी उनसे तीखे सवाल पूछा करता था। लेकिन वर्तमान में, आज भी मुझे फिर से धमकियां मिल रही है। आज भी मुझ पर दोबारा झूठे केस दर्ज कराने की साजिशें चल रही है। मेरा घर से निकलना मुश्किल हो जाएं, इसलिए चंद्रपुर के तानाशाही नेता के गुर्गे, कार्यकर्ता और समर्थकों ने मेरे सिर पर इनाम रखना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर लगातार इस संदर्भ में धमकियां परोसी जा रही है और पुलिस विभाग का सायबर सेल आंख मूंदकर बैठा है। वे षड़यंत्रकारी मेरा मॉब लिंचिंग कराना चाहते है। किसी भी समय मेरी हत्या कराई जा सकती है। फिर भी मैं चंद्रपुर के तानाशाह नेता के खोखले विकास की पोल खोलता रहूंगा।
 भले ही मैं मौत से नहीं डरता, लेकिन यदि मेरी हत्या चंद्रपुर के तानाशाह के इशारों पर होती है तो मेरे परिवार को अवश्य न्याय दिया जाएं और चंद्रपुर के भाजपा वासी तानाशाह नेता, उनके चाटूकार पुलिस अफसर-कर्मचारी, उनके गुंडे, उनके अंधभक्त कार्यकर्ताओं को उनके कुकर्मों की अवश्य सजा दी जाएं। यह पत्र आज लिखने का कारण यह है कि मेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं लग रहा है। जब वे रिटायर्ड होंगे तो उनकी जगह लेने वाले दूसरे न्यायप्रिय जज को मेरे इस पत्र की गंभीर दखल लेनी चाहिये, यही बस मेरा उनसे अनुरोध है।  

लेखक - 
लिमेशकुमार जंगम,
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
7030405001
5 अप्रैल 2024