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ढहते विकास की चीरफाड़


छत्रीछाप पत्रकार क्यों दबा रहे हैं खबरें ?

@चंद्रपुर
गोदी मीडिया की उपाधि आपने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक बार वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार द्वारा सुनी तो होगी ही, लेकिन इस गोदी मीडिया का असर अब चंद्रपुर में भी साफ देखा जा सकता है। घटनात्मक खबरें, पीड़ित जनता के हक की खबरें एवं भाजपा नेताओं पर संकट लाने वाली खबरों को स्थानीय छत्रीछाप BJP प्रेमी पत्रकारों द्वारा लगातार दबाने का पाप किया जा रहा है। वहीं सोशल मीडिया पर उक्त खबरें उजागर हो रही है। इसके चलते छत्रीछाप पत्रकारों की छवि लगातार नीचे गिरती जा रही हैं।
बीते माह भर में ऐसी अनेक घटनाएं हुई, जिसमें जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा निर्मित करोड़ों के विकास कार्यों के संसाधन ढहते, गिरते नजर आये। परंतु हैरत की बात है कि छत्रीछाप BJP प्रेमी गोदी मीडिया ने इन खबरों को दबा दिया। यह समाचार जनता के सामने लाने के लिए इनकी कलम तक नहीं उठी। इसके पीछे के कारणों पर अब जनता न केवल चर्चा कर रही हैं, बल्कि इन गोदी पत्रकारों की हर स्तर पर आलोचना भी कर रही है। .तो आइये जानते हैं बीते दिनों क्या-क्या घटित हुआ और किन कारणों से गोदी मीडिया ने इन खबरों को दबा दिया ?

मुनगंटीवार के विकास कार्य कहां-कहां ढहने लगे ?
25 फरवरी 2021 को जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा करीब 100 करोड़ की सरकारी निधि से निर्मित किये गये चिचपल्ली के बांबू संशोधन केंद्र को आग लग गई और संपूर्ण सामग्री जलकर राख हुई। परंतु आज तक आगरोधी उपकरण न लगाये जाने के लिए जिम्मेदार किसी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई हुई और न ही किसी पर दोष मंढा गया ? हालांकि यह घटना तत्कालीन पालकमंत्री विजय वडेट्‌टीवार के कार्यकाल के दौरान घटी। 27 नवंबर 2022 को बल्लारपुर रेलवे फुटओवर ब्रिज की छत का एक बड़ा हिस्सा ढह गया। इस हादसे में एक महिला शिक्षिका को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि इसी रेलवे स्टेशन को मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के फोटो के साथ देश का सर्वोत्तम रेलवे स्टेशन बताने वाला कैलेंडर इनकी कथनी व करनी के अंतर की पोल खोलता रहा। 9 जुलाई 2023 को चंद्रपुर के दाताला मार्ग पर करोड़ों की लागत से बने राम सेतु पुल की लाइटिंग मंत्री मुनगंटीवार द्वारा किये गये उद्घाटन के महज सप्ताह भर के भितर ही बंद पड़ गई। जबकि इस लाइटिंग पर भी सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये थे। चंद्रपुर से बल्लारपुर मार्ग पर मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने 2 करोड़ 23 लाख रुपयों की लागत से प्रवेश द्वार बनवाया था। 12 जुलाई 2023 को इस प्रवेश द्वार के पिलर के पीओपी ढहकर नीचे गिर गया। सौंदर्यीकरण की नीति यहां धराशायी हो गई। बीते पखवाड़े में 18 जुलाई 2023 को जब जोरदार बारिश हुई तो चंद्रपुर के सुप्रसिद्ध रामाला तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए सुरक्षा ग्रील ढहकर तालाब में समा गये। इस निर्माण कार्य के लिए भी करोड़ों की निधि खर्च करवायी गई थी। वहीं 23 जुलाई 2023 को एक चौंकाने वाली खबर ने समूचे चंद्रपुर वासियों को हिलाकर रख दिया। आम आदमी पार्टी के नेता मयूर राइकवार ने 65.19 करोड़ के राम सेतु पुल की सुरक्षा दीवार व मार्ग के बीच 6 इंच फासला निर्माण होने एवं मार्ग धंस जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की नींद उड़ा दी। दूसरे दिन निर्माण विभाग के अधिकारियों को घटना का जायजा लेने जाना पड़ा। इसके अलावा 25 जुलाई 2023 को एक और चकित करने वाला मामला उजागर हुआ। इस बार खबर मंत्री मुनगंटीवार के पोंभूर्णा से आयी। यहां के पंचायत समिति के लिए व्हाइट हाउस की तरह बनाये गये 9.99 करोड़ की आलिशान इमारत की छत पर लगाये गये पीओपी का एक बड़ा हिस्सा ढह गया। गनिमत रही कि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ। पश्चात यह मामला अभी तूल ही पकड़ा था कि 1081 करोड़ की लागत से चंद्रपुर में बनाये गये वन अकादमी की आलिशान इमारतों के प्रवेश द्वार पर लगाये गये सौंदर्यीकरण का एक हिस्सा ढह गया। इसके अतिरिक्त बामनी में रोजगार सम्मेलन में 5000 युवाओं को नौकरियां देने का दावा हो या बल्लारपुर के डायमंड कटिंग प्रशिक्षण से रोजगार देने का वादा हो, इन वादों का हश्र भी नदारद ही नजर आता है। बहरहाल इन तमाम घटनाओं में संबंधित ठेकेदारों के निर्माण की गुणवत्ता और मंत्री मुनगंटीवार की चुप्पी पर अनेक सवाल उठाने लगे हैं।

आखिर क्यों ढहने लगे मुनगंटीवार के प्रोजेक्ट ?
इसमें कोई दो राय नहीं की, तमाम ढहते, गिरते, जलते संसाधनों के पीछे घटिया निर्माण सामग्री एवं लापरवाही जिम्मेदार है। परंतु हैरत की बात है कि किसी भी घटना के बाद किसी ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की गई। किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया। क्यों दोषियों को बख्शा जा रहा है, यह चिंता और चिंतन का विषय है। मंत्री मुनगंटीवार की ओर से दोषी ठेकेदारों पर कार्रवाई न करना, प्रशासन का ढिला रवैया इस बात को बढ़ावा दे रहा है कि कहीं कोई मिलीभगत है। प्रचलित धारणा के अनुसार जब कमिशनखोरी चरम पर होती है तो घटिया काम उजागर होने लगते हैं। गुणवत्ता तार-तार हो जाती है। कमिशनखोरी और मिलीभगत के चलते अनेक बार दोषी ठेकेदार बच जाते हैं। किंतु चंद्रपुर जिले में घटित हो रही इन घटनाओं के पीछे कौनसा राज छिपा है, यह जनता अब धीरे-धीरे समझने लगी है। दोषी ठेकेदारों पर आशिर्वाद किसका है ? किसके समर्थन व सहयोग के चलते इन घटनाओं की जांच कभी अंजाम तक नहीं पहुंच पा रही है, इस पर जनता को गंभीरता से अब सोचना होगा। आर्थिक लेन-देन व कमिशनखोरी इसकी एक मुख्य वजह हो सकती है। 

छत्रीछाप पत्रकारिता ने इन कारणों से दबा दी खबरें
ज्ञात हो कि 30 जुलाई को जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार का जन्मदिन हैं। उनके जन्मदिन पर आमतौर पर उनके चाहने वाले, कार्यकर्ता, ठेकेदार और सहयोगी नेताओं की ओर से पत्रकारों को बड़ी-बड़ी राशि के विज्ञापन जारी किये जाते हैं। ऐसे में बीते एक माह से मंत्री मुनगंटीवार के ढहते निर्माण कार्यों की खबरों को इसलिए भी दबाया जा रहा है, ताकि आगामी दिन के विज्ञापन प्राप्ती पर इसका विपरीत असर न पड़े। यदि ढहते विकास की खबर प्रकाशित कर दी तो उस पत्रकार को बड़ी राशि के विज्ञापन से हाथ धोना पड़ सकता है। एक और मुख्य वजह है भाजपा की भक्ति। देश स्तर पर जिस तरह से गोदी मीडिया भाजपामय होकर खुलकर मोदी सरकार का प्रचार और जनता के मुद्दों का दबाने का प्रयास कर रही है। ठीक उसी तर्ज पर चंद्रपुर में भी छत्रीछाप BJP प्रेमी पत्रकारों की ओर से गोदी मीडिया का नकाब पहनकर काम किया जा रहा है। गत माह एक पत्रकार संगठन ने अपनी राज्य स्तरीय बैठक में बाहरी जिलों से आये अनेक पत्रकारों को मंत्री मुनगंटीवार के प्रचार की सामग्री, किताबें बांट दी। और तो और भाजपा चिन्ह वाले छाते भी इन पत्रकारों को बांटकर अपनी BJP भक्ति का परिचय दिया। कुछ पत्रकारों को तो नेताओं के खिलाफ चंद लाइनें लिखने से भी डर लगता है। इन छत्रीछाप BJP प्रेमी पत्रकारों के कारण चंद्रपुर की पत्रकारिता अब अपने नीम्न स्तर पर पहुंच गई है। जनता को इस गोदी मीडिया द्वारा दबाये जा रही खबरों की जानकारी सोशल मीडिया से मिलने लगी है। धीरे-धीरे छत्रीछाप BJP प्रेमी पत्रकारों की गंदी नीतियों से जनता में मन में रोष पनप रहा है।