UGC के मापदंडों के अनुसार चाहिये 2098 प्राध्यापक
चंद्रपुर जिले में हैं केवल 1101 प्राध्यापक, 997 प्रोफेसरों की आज भी कमी
हमने पिछली खबर में सरकारी आंकड़ों के माध्यम से चंद्रपुर जिले में चौपट हो रही शैक्षणिक व्यवस्था की पोल खोलते हुए यह जानकारी उजागर की थी कि कैसे जिले में गरीबों तथा ग्रामीणों की प्राथमिक व जरूरी शिक्षा के बुरे हाल है। बीते 10 वर्षों में जिले की 35 सरकारी स्कूलें बंद हो गई, जिन्हें स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की ओर से क्रियान्वित किया जाता रहा था। जबकि वर्ष 2013 से वर्ष 2023 तक जिले में कुल 1 हजार 178 सरकारी शिक्षक भी घट गए। अब एक और चौंकाने वाली जानकारी मिली हैं, जिसमें बीते 10 सालों में जिले में 36962 महाविद्यालयीन छात्र तो बढ़ गए लेकिन यहां के 15 कॉलेज बंद हो गए। हैरत की बात है कि UGC के मापदंडों के अनुसार जिले में शिक्षा ग्रहण कर रहे कुल 52 हजार 474 कॉलेज छात्रों के लिए 2098 प्राध्यापक की जरूरत हैं, लेकिन यहां केवल 1101 प्राध्यापकों पर ही पढ़ाने का बोझ ड़ाला गया है। आज भी जिले में 997 प्रोफेसरों की कमी महसूस की जा रही है। इसके बावजूद विकास के बड़े-बड़े एवं खोखले दावे करने वाले नेताओं के कानों पर जू तक नहीं रेंग पा रही है।
आइये ! समझते है चंद्रपुर जिले के कॉलेजों का हाल
वर्ष 2013 में चंद्रपुर जिले में कुल 116 कॉलेज हुआ करते थें। इन विविध कॉलेजों में पढ़ाने के लिए 818 प्राध्यापक नियुक्त थे। इन 116 कॉलेजों में 7118 लड़कें तथा 8394 लड़कियां अर्थात कुल 15 हजार 512 विद्यार्थी पढ़ा करते थे। आश्चर्य की बात है कि बीते 10 वर्षों में से 116 में से अब 101 कॉलेज ही बचे रह गए हैं। लेकिन शिक्षा के प्रति जागरुकता एवं स्पर्धा बढ़ने के कारण कॉलेज में जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई है। अर्थात कॉलेज तो घट गए, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या काफी बढ़ गई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में जिले में 101 कॉलेज शुरू हैं। इन कॉलेजों में पढ़ाने के लिए 1101 प्राध्यापक सेवारत हैं। अब यहां 22157 लड़कें तथा 30317 लड़कियां अर्थात कुल 52 हजार 474 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। लेकिन बंद हो चुके 15 कॉलेज और UGC के मापदंड़ों के अनुसार 997 प्रोफेसरों की कमी दूर करने में विकास के दावेदार नेताओं की नाकामी यहां साबित होने लगी है।
विकास के शैक्षणिक दावे खोखले
जिले के प्रशासन की कमान पालकमंत्री के हाथ में होती है। बीते 8 वर्षों से यहां भाजपा नेता व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार पालकमंत्री पद की कमान संभाल रहे हैं। 2 वर्ष कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी पालकमंत्री पद की कमान संभाली थी। भाजपा की ओर से शैक्षणिक विकास के बड़े-बड़े दावे करते हुए करोड़ों रुपयों की निधि खर्च किये जाने की बात कही जाती है। परंतु उनके इन दावों की पोल सरकारी रिपोर्ट ही खोल देती है। बीते 10 वर्षों में 15 कॉलेजों का बंद हो जाना इस बात का प्रमाण हैं। साथ ही UGC के मापदंड़ों के अनुसार जिले के 52 हजार 474 कॉलेज छात्रों के लिए 2098 प्राध्यापक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। इसके चलते मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और उनके शैक्षणिक दावों के पीछे की हकीकत उजागर हो रही है। उनके खोखले दावों को लेकर शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले बुद्धिजीवियों, शिक्षाविद्ों एवं जानकारों को गंभीरता से सोचते हुए जिले के शैक्षणिक क्षेत्र में असली प्रगति व विकास की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।