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UltraTech donated Rs 35 crore : अल्ट्राटेक ने दिया 35 करोड़ का चंदा और फिर मिल गई जिवती की 54.25 हेक्टेयर वन भूमि


चंद्रपुर से 127 करोड़ जाने के बाद माणिकगढ़ के राज़ से भी उठ रहा पर्दा

इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर देश में एक के बाद एक नये-नये खुलासे होने लगे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर थम नहीं रहा। ऐसे में गत दिनों चंद्रपुर जिले से राजनीतिक दलों को कब-कब कितना चंदा गया, इसका खुलासा हम लगातार कर रहे हैं। इसी श्रृंखला में अब चंद्रपुर जिले के कोरपना तहसील स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड कंपनी से इलेक्टोरल बॉन्ड के तौर पर कुल 35 करोड़ की धनराशि कौन-कौनसे राजनीतिक दलों को गई हैं, इसका हम खुलासा करने जा रहे हैं। गत सप्ताह हमने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोलरोड लिमिटेड कंपनी से BJP को 7 करोड़ का चंदा, स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड से भी BJP को 5 करोड़ का चंदा तथा चंद्रपुर के ताड़ाली स्थित धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीआईएल) कंपनी से कुल 115 करोड़ में से 25 करोड़ BJP को शेष 90 करोड़ रुपये ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के झोली में जाने की जानकारी दी थी। अब अल्ट्राटेक कंपनी की ओर से 35 करोड़ का चंदा राजनीतिक दलों को मिलने के बाद जिवती के मरकागोंदी की 54.25 हेक्टेयर वन भूमि इन्हें आवंटित होने की सनसनीखेज जानकारी उजागर हुई है।
 

अल्ट्राटेक ने कब-कब, किसको दिया कितना चंदा ?

अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड नामक कंपनी आदित्य बिर्ला समूह का एक भाग है। इस सीमेंट उत्पादक कंपनी की क्षमता प्रतिवर्ष 116.75 दस लाख टन है। अल्ट्राटेक ने गत 4 अक्टूबर 2019 को BJP को 2 करोड़ और शिवसेना को 3 करोड़ के बॉन्ड दिये। 20 अक्टूबर 2020 को बीजू जनता दल को 10 करोड़, 10 जनवरी 2022 को BJP को 10 करोड़ तथा 2 नवंबर 2023 को BJP को पुन: 10 करोड़ रुपयों का चंदा अल्ट्राटेक ने दिया है। हैरत की बात है कि वन जमीन कानून में अटका इनका उत्खनन का प्रस्ताव इसके पश्चात मंजूर व आवंटित हो गया। 


क्या है अल्ट्राटेक, कौन हैं निदेशक ?

अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड यह मुंबई में स्थित वर्ष 1983 में स्थापित एक भारतीय सीमेंट कंपनी है। इसकी आय 63,743.10 करोड़ है। अल्ट्राटेक विश्व स्तर पर (चीन के बाहर) एकमात्र ऐसी सीमेंट कंपनी है जिसके पास एक ही देश में 100 से अधिक एमटीपीए सीमेंट निर्माण की क्षमता है। कंपनी का व्यवसाय संचालन संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, श्रीलंका और भारत में फैला हुआ है। इनके पास 23 एकीकृत विनिर्माण इकाइयां (मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स), 29 ग्राइंडिंग इकाइयां, एक क्लिंकराइज़ेशन इकाई और 8 बल्क पैकेजिंग टर्मिनल हैं। पूरे भारत में इसकी 80% से अधिक मार्केट तक पहुंच है। अल्ट्राटेक के पूरे भारत के 100 से अधिक शहरों में 230 से अधिक रेडी मिक्स कांक्रीट (आरएमसी) प्लांट हैं। इस कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला हैं। श्री कुमार मंगलम बिड़ला यूएस $ 44.3 बिलियन बहुराष्ट्रीय आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष हैं, जो छह महाद्वीपों के 35 देशों में काम करते हैं। इसकी 50 प्रतिशत से अधिक आय भारत के बाहर परिचालन से आती है। इनके निदेशक मंडल में गैर कार्यकारी निदेशक राजश्री बिड़ला, स्वतंत्र निदेशक अरुण अधकारी, अलका भरूचा, निदेशक सुनील दुग्गल, पूर्णकालिक निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी अतुल डागा हैं। इनके प्रबंधन टीम में प्रबंध निदेशक के.सी. झंवर, बिजनेस हेड और चीफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफिसर राज नारायणन, विवेक अग्रवाल, मुख्य मानव संसाधन अधिकारी रमेश मित्रागोत्री तथा बिरला व्हाइट के सीईओ आशीष द्विवेदी का समावेश हैं। 


...और मिल गई वन जमीन

अल्ट्राटेक माणिकगढ़ सीमेंट कंपनी बरसों से जिवती तहसील के मरकागोंदी गांव परिसर के करीब 150 हेक्टेयर जंगल की भूमि पर उत्खनन की अपनी परियोजना को साकार करने का ख्वाब देख रही थी। लेकिन वन कानून की रुकावटों के चलते इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल नहीं रही थी। मरकागोंदी लैटेराइट खदान के लिए आखिरकार 54.25 हेक्टेयर का पट्टा मंजूर किया गया। इसकी उत्पादन क्षमता 7,00,000 टीपीए प्रस्तावित है। वन सीमांकित कम्पार्टमेंट संख्या 89 और 102 मुख्य रुकावट रही है। रिट याचिका की प्रक्रिया, महाराष्ट्र सरकार से पत्राचार और पर्यावरण संबंधित मंजूर आदि के कठिन दौर से गुजरते समय इस कंपनी ने 35 करोड़ का चंदा राजनीतिक दलों इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दिया है। जिसके बाद गत वर्ष के अंत में इस कंपनी को मरकागोंदी की वन भूमि आवंटित होने की जानकारी मिली है।