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1,178 teachers reduced, 35 schools closed : घट गए 1,178 शिक्षक, 35 स्कूलें बंद


चंद्रपुर जिले में गरीबों की सरकारी शिक्षा व्यवस्था चौपट

विकास नहीं, अधोगति : बिगड़ रहे हालातों पर ध्यान नहीं

चंद्रपुर जिले में विकास के सैंकड़ों दावे किए जाते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर होती है। बीते 10 वर्षों में जिले की 35 सरकारी स्कूलें बंद हो गई, जिन्हें स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की ओर से क्रियान्वित किया जाता रहा है। जबकि वर्ष 2013 से वर्ष 2023 तक जिले में कुल 1 हजार 178 सरकारी शिक्षक घट गए। इसके बावजूद शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले जानकारों, बुद्धिजीवियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कानों पर जू तक नहीं रेंग पा रही है। जिले के गरीबों एवं ग्रामीण इलाकों में मौजूद इन सरकारी स्कूलों तथा शिक्षकों की घटती संख्या पर कोई भी गंभीर नजर नहीं आता। भाजपा के दिग्गज नेता व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की इस कर्मभूमि में शिक्षा व्यवस्था चौपट होने लगी है, यह वाकई में चिंता का विषय है।

ये हालात सुधरना जरूरी है

चंद्रपुर जिले के शैक्षणिक हालात लगातार बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं। मध्यम वर्ग व उच्च वर्ग के बच्चे तो महंगे स्कूलों में शिक्षा पा लेते हैं। लेकिन जिले के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों व मजदूरों के बच्चे आसानी से शिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं। इन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में यदि सरकारी और खासकर स्थानीय स्वराज संस्थाओं की ओर से चलाई जा रही स्कूलें लगातार बंद की जाएगी तो गांवों में शिक्षा व्यवस्था का चौपट होना तय है। 10 वर्ष पूर्व अर्थात वर्ष 2013 की प्रशासनीक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीय स्वराज संस्थाओं की ओर से जिले में कुल 1645 स्कूलें चलाई जा रही थी। इन स्कूलों में 6336 शिक्षक सेवारत थे। इसके बाद वर्ष 2023 के मार्च अंत आते-आते जिले में इन स्कूलों की संख्या घटकर 1610 पर पहुंच गई है। जबकि शिक्षकों की संख्या भी घटकर 5158 तक पहुंच चुकी हैं। मतलब साफ है कि जिले में 35 स्कूलें बंद हुई और 1,178 शिक्षक कम हो गए।

सरकारी आंकड़ों से हो रहा सच्चाई का पर्दाफाश

प्रशासनीक रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों से समूची सच्चाई का खुलासा हो जाता है। हमने वर्ष 2013 से वर्ष 2023 के दौरान के सरकारी आंकड़ों की तुलना की। इन 10 वर्षों के आंकड़ों में जो फर्क महसूस किया गया, वह अधोगति को साफ-साफ दर्शा रहा है। तहसीलवार आंकड़े निम्नलिखित है। 

तहसील - स्कूल–वर्ष-शिक्षक – स्कूल–वर्ष-शिक्षक
वरोरा -162(वर्ष 2013)535 - 165(वर्ष 2023)433
चिमूर -160(वर्ष 2013)595 - 157(वर्ष 2023)461
नागभिड़ -112(वर्ष 2013)430 - 110(वर्ष 2023)347
ब्रम्हपुरी -117(वर्ष 2013)515 - 115(वर्ष 2023)434
सावली -92(वर्ष 2013)395 - 92(वर्ष 2023)364
सिंदेवाही -91(वर्ष 2013)373 - 91(वर्ष 2023)295
भद्रावती -125(वर्ष 2013)470 - 123(वर्ष 2023)367
चंद्रपुर -137(वर्ष 2013)560 -  122(वर्ष 2023)419
मूल -78(वर्ष 2013)366 - 77(वर्ष 2023)315
पोंभूर्णा -57(वर्ष 2013)223 - 57(वर्ष 2023)200
बल्लारपुर -44(वर्ष 2013)163 - 42(वर्ष 2023)128
कोरपना -113(वर्ष 2013)461 - 112(वर्ष 2023)341
राजूरा -140(वर्ष 2013)516 - 137(वर्ष 2023)432
गोंडपिपरी -89(वर्ष 2013)351 - 89(वर्ष 2023)307
जिवती -128(वर्ष 2013)383 – 121(वर्ष 2023)315
कुल - 1645(वर्ष 2013)6336 -1610(वर्ष 2023)5158


विवादों से रहा शिक्षा व्यवस्था का नाता

बीते वर्ष 27 सितंबर 2022 को लोकमत के पत्रकार साईंनाथ कुचनकर ने अपनी एक विशेष रिपोर्ट के माध्यम से यह खुलासा किया कि 1 से 20 छात्र संख्या वाले जिले के 407 स्कूलें बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इस सूचना के चलते शिक्षा क्षेत्र में खलबली मच गई। लेकिन सरकारों की ओर से शिक्षा को लेकर उठाए जा रहे कदमों की किसी ने जमकर आलोचना की तो किसी ने समर्थन किया। परंतु हालात चाहे जो भी हो गरीब व ग्रामीण इलाकों के बच्चों को स्कूल जैसी अत्यावश्यक सुविधा से वंचित होना आगामी पीढ़ी के लिए नुकसानदायक हो सकता है। क्योंकि गांव में मौजूद स्कूलें बंद होने दूर जाकर बच्चे पढ़ना नहीं चाहेंगे।


सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का ?

एक सनसनीखेज मामला बीते वर्ष उजागर किया गया था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार एवं पूर्व जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले के बेहद खास सेवक तथा BJP युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक बोढे का महाफ्रॉड गत जनवरी 2023 के प्रथम पखवाड़े में उजागर हुआ। बावजूद अनेक माह तक सरकार व प्रशासन ने इस महाफ्रॉड पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में जब प्रदेश के विरोधी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्‌टीवार ने 4 अगस्त 2023 को विधानसभा में प्रकरण उठाते हुए गरज पड़े। तत्काल विवेक बोढे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल में डालने का अनुरोध सदन में किया। इसके चलते चंद्रपुर की राजनीति में भूचाल आ गया। हमेशा की तरह इस खबर को भी मीडिया ने दबा दिया था। कुछ पत्रकारों को BJP की ओर से तिर्थयात्रा प्रायोजित कर उन्हें गिफ्ट दिया गया। विधानसभा में उठे विवेक बोढे के प्रकरण के बाद जांच के निर्देश तो मिले, लेकिन सत्ता भाजपा के मुठ्‌ठी में होने के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकीं। ऐसे में भाजपा नेताओं की ओर से जिले की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने की उम्मीद रखना बेहद मुश्किल है।