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13 crores wasted due to the building built after demolishing the Mul theater : मूल के रंगमंच को तोड़कर बनी इमारत से 13 करोड़ बर्बाद !


बेकार साबित हुआ मंत्री मुनगंटीवार का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स
 
दि चंद्रपुर टाइम्स, नवभारत व लोकहित समाचार ने किया पर्दाफाश

महोत्सव प्रिय भाजपा के वरिष्ठ नेता व प्रदेश के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने मूल शहर के मध्य में स्थित पुरातन रंगमंच की इमारत को तुड़वाकर यहां करीब 13 करोड़ की लागत से शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण करा दिया। एक समय था जब क्षेत्र की जनता के लिए यह स्थल सामाजिक व धार्मिक सम्मेलनों से गुलजार हुआ करता था। लेकिन अब विकास की नुमाइश के लिए करोड़ों से बने इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को स्थानीय व्यापारियों ने ठुकरा दिया है। जब इस संकुल के 61 दुकानों नीलामी रखी गई तो सिर्फ और सिर्फ एक दूकान बोली में आवंटित हुई। छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से राजनीति करने वाले नेताओं की दूरदृष्टि यहां बौनी साबित हुई। क्योंकि इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का नाम ही छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर रखा गया। मंत्री मुनगंटीवार द्वारा उद्घाटित इस संकुल के द्वार के करीब का कांच अब टूट चुका है। इसके बर्बादी की कहानी मूल के ईको पार्क की तरह ही शुरू हो गई है।

 

लोगों के किसी काम की नहीं करोड़ों की इमारत

दि चंद्रपुर टाइम्स में पत्रकार नासिर खान लिखते हैं कि पालकमंत्री मुनगंटीवार ने करोड़ों की इस इमारत का बड़े जोरों-शोरों से शुभारंभ किया। इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में 61 दुकानें हैं। इसकी नीलामी में बोली लगाने के लिए कोई व्यापारी आगे नहीं आया। केवल 11 नंबर की दुकान को 3 लाख 95 हजार रुपयों में काजू खोबरागडे ने खरीदा। इसके चलते नगर प्रशासन की इज्जत बच गई। विकास की नुमाइश के लिए इस इमारत को खूबसुरत बनाया गया। सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। लेकिन स्थानीय व्यापारियों की जरूरत व उचित खरीदी मूल्य का ध्यान नहीं रखा गया। 61 में से एक दुकान आवंटित होने पर शेष 60 दुकानों का हश्र क्या होगा, इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस संकुल का स्थल व्यापार योग्य जगह नहीं होने के कारण कोई भी व्यापारी अपना लाखों का निवेश कर नुकसान उठाना नहीं चाहेगा। बोली यदि 10 लाख पर जाती है तो यह राशि नप में जमा कराने के बाद 5 हजार रुपये किराये पर यह दुकान मिलेगी। यदि व्यापार नहीं चला तो दुकान खाली करने की स्थिति में अमानत जमा रकम 10 लाख रुपये लौटाये नहीं जाएंगे। यदि कोई व्यापारी 10 लाख रुपयों की पगड़ी बाजार लाइन में किसी दुकान के लिए खर्च करता है तो उसे वह दुकान खाली करते समय राशि वापस मिल जाएगी। परंतु नप की व्यवस्था में राशि डूबने का अधिक खतरा है। जनता के पैसों से बनी यह करोड़ों की इमारत आज जनता के किसी काम की नहीं रही। 13 करोड़ से अधिक की धनराशि यहां बर्बाद होती नजर आ रही है। 

जनता के भावनाओं की कद्र नहीं ?

संपादक राजेश सोलापन के डिजिटल मीडिया पर पत्रकार नासिर खान बताते हैं कि मूल शहर के मध्य में स्थित रंगमंच को तोड़कर इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया गया। पूर्व में यहां सामाजिक व धार्मिक आयोजनों का यह मुख्य केंद्र हुआ करता था। जनता की अपेक्षा थी कि यहां एक उत्तम सुविधाओं से युक्त नया रंगमंच बनाया जाएं। परंतु नेताओं व अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। सरकार की निधि को यहां बर्बाद करने की स्थिति पैदा की गई। इस संकुल का फ्रंट महामार्ग की ओर नहीं है।


चमक-दमक में भूल गये व्यापारियों का हित

नवभागत अखबार ने दो दिन पहले की अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस करोड़ों के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में वीरानी छायी रहेगी। अब जब इस चमक-दमक वाली इमारत में व्यापार ही नहीं रहेगा तो यह वीरान पड़ जाएगी। इससे सरकार का अर्थात जनता का पैसा डूब जाएगा। इस कुनीति के लिए जिम्मेदार कौन है, यह सवाल अखबार के माध्यम से उठाया गया है। 


महंगे शीशे की रक्षा भी न कर पाएं

लोकहित समाचार के रिपोर्टर मेहुल मनियार लिखते हैं कि  मूल के इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की खूबसुरती बढ़ाने के लिए यहां महंगा शीशा लगाया गया। लेकिन उद्घ्ाटन के बाद इसकी पर्याप्त सुरक्षा व देखरेख की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। प्रवेश द्वार से सटा शीशा टूट गया या किसी ने जानबूझकर तोड़ा, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। यूं कहे तो रामभरोसे ही अब यह इमारत धूल फांकते रहेगी। यह संकुल अभी ठीक से शुरू ही नहीं हुआ और इसके बर्बादी के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं। 

अंतिम बात.

मूल शहर में कुछ वर्ष पूर्व करोड़ों की सरकारी निधि से बना ईको पार्क गार्डन यूं ही बर्बाद हो गया। आज यहां भ्रमण करने के लिए कोई नागरिक इधर भटकता भी नहीं। यही हाल चंद दिनों बाद मूल के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का होगा। जनता के टैक्स के पैसों को इस तरह से बर्बाद करने के लिए कौन जिम्मेदार है, यह सवाल जागरूक नागरिकों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।