Breaking News

6/recent/ticker-posts

चंद्रपुर के पेशाब कांड पर नेताओं की चुप्पी !

बाबासाहब की अवमानना : विधानसभा में भी खामोशी

सत्ता पक्ष, विपक्ष, OBC, ST, SC अधिकांश संगठन भी चुप

जयंती पर फोटो यूज करने वाले अब निषेध भी नहीं कर पा रहें

@चंद्रपुर
भारतरत्न  डॉ. बाबासाहब अंबेडकर की जयंती और पुण्यतिथि के अवसर पर बाबासाहब का फोटो यूज कर बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स से शहर को पाट देने वाले नेता, बाबासाहब की प्रतिमा पर साल में 2 बार हार चढ़ाने वाले नेता, वोटों के लिए बाबासाहब के तस्वीरों व अनुयायियों के साथ नीली टोपी-दुपट्‌टे पहनकर फोटो खिंचवाने वाले नेता, मतलब के लिए बाबासाहब की तस्वीरों का लाभ उठाने वाले अधिकांश नेता अब चंद्रपुर के दुर्गापुर में घटित घिनौने पेशाब कांड से अंबेडकर की अवमानना होने पर चुप्पी साधे बैठें हैं। अधिकांश राजनीतिक दलों के नेता, सत्ता पक्ष के नेता, विपक्ष के नेता, विभिन्न सेल व विभागों के नेता, सामाजिक संगठनों के नेता इस आहतपूर्ण कांड पर निषेध तक व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। अधिकांश नेताओं ने ज्ञापन जारी कर इस मामले में खेद तक नहीं जताया। इसके चलते इन नेताओं की नीति व नियत पर बाबासाहब के अनुयायियों में संदेह और सवाल निर्माण हो रहा है। 

कार्रवाई की मांग दूर की बात, नेताओं ने निषेध भी नहीं जताया
ज्ञात हो कि जब मध्य प्रदेश में सीधी पेशाब कांड घटित हुआ तो समूचा विपक्ष और तमाम दलों के नेताओं ने उस पेशाब कांड की खुलकर आलोचना की थी। परंतु चंद्रपुर के पेशाब कांड पर यहां के स्थानीय अधिकांश नेताओं को सांप सूंघ गया है। अधिकांश दलों के नेताओं ने आरोपियों के खिलाफ मोर्चा खोलने, कठोर कार्रवाई करने की मांग करने की बात कोसो दूर है, यहां तो इन नेताओं ने अपने स्तर पर निषेध तक नहीं जताया। अपने-अपने स्तर पर ज्ञापन जारी कर इस चंद्रपुर के पेशाब कांड की आलोचना तक नहीं की। लेकिन हैरत की बात है कि यही नेतागण बाबासाहब की जयंती और पुण्यतिथि पर उनके तस्वीरों को अपने बैनरों में यूज करके जनता को शुभकामनाएं व अभिवादन करते हुए देखे जा सकते हैं। क्योंकि इन्हें जिले के बाबासाहब के अनुयायियों के वोट बटोरना होता है। 

सामाजिक संगठनों ने भी मुंह फेरा
उल्लेखनीय है कि जिले में सामाजिक संगठनों की ओर से समय-समय पर विविध सामाजिक कार्यक्रम आयोजित कर जनजागरण का काम किया है। इन आयोजनों में बाबासाहब की तस्वरों का धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है। समता पर्व, शाहू महाराज उत्सव आदि में बाबासाहब की तस्वीरें लगाकर उनके कार्यों का जमकर बखान किया जाता है। OBC और बाबासाहब के योगदान पर खूब लेक्चर दिये जाते हैं। लेकिन अब जब चंद्रपुर में बाबासाहब की अवमानना से संबंधित पेशाब कांड घटित हुआ है तो अधिकांश सामाजिक संगठनों की ओर से इस वारदात के खिलाफ में ज्ञापन सौंपने और निषेध व्यक्त करने की कोशिश तक नहीं की गई। इसके चलते इन संगठनों के जनजागरणों की मंशा संदेह के घेरे में हैं। सराहनीय बात यह है कि फरियादी व समाजसेवक सुनील दादा पाटील, भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र रायपूरे के अलावा चंद गिने-चुने संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मसले पर प्रशासन को घेरा है। 

इन नेताओं से जनता को अपेक्षा, लेकिन अब तक निराशा
चंद्रपुर जिले के नेताओं से बाबासाहब के अनुयायी अपेक्षा कर रहे हैं कि वे खुलकर सामने आएं और अवमानना वाले पेशाब कांड की आलोचना करते हुए संबंधित आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग करें। जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, विधायक किशोर जोरगेवार, विधायक बंटी भांगडिया, विधायक विजय वडेट्‌टीवार, विधायक सुभाष धोटे, विधायक प्रतीभा धानोरकर, विधायक सुधाकर अडबाले, पूर्व मंत्री हंसराज अहिर, पूर्व सांसद नरेश पुगलिया, देवराव भोंगले, प्रकाश देवतले, रामू तिवारी, डॉ. मंगेश गुलवाडे, ब्रिजभूषण पाझारे, राहुल पावडे, सूरज ठाकरे, संदीप गिरहे, मनदीप रोडे, जयदीप रोडे, पप्पू देशमुख, महेश मेंढे, प्रवीण पडवेकर, राजेंद्र वैद्य, नितीन भटारकर, अश्विनी खोबरागडे, भूषण फुसे, राजीव कक्कड़, सचिन भोयर, अजझर शेख, सोहेल खान, सुनील मुसडे आदि नेताओं की ओर से निषेध से संबंधित कोई ज्ञापन जारी करने, कठोर कार्रवाई से संबंधित प्रशासन को ज्ञापन देने और मध्य प्रदेश की तर्ज पर रासुका लगाकर बुलडोजर चलाने जैसी कोई मांग नहीं की गई। नेताओं की यह नीति अंबेडकर अनुयायियों के लिए चिंता व चिंतन का विषय बनता जा रहा है। 

क्या है पेशाब कांड का पूरा मामला ?
देसी शराब के चिल्लर बिक्री दुकान के मालिक व अनुज्ञप्तीधारक आशा अरविंद जैस्वाल की दुकान तुकूम के वसंत नगर स्थित दुर्गापुर मेजर गेट के सामने हैं। चंद माह पूर्व इस शराब दुकान के प्रबंधन ने एक बैनर अपने पेशाब घर में लगा दिया। इस बैनर पर डॉ. बाबासाहब अंबेडकर का चित्र अंकित था। बावजूद किसी ने इस अनुचित मामले को गंभीरता से नहीं लिया। प्रतिदिन यहां आने वाले शराबी इस पोस्टर पर पेशाब करते रहे। लेकिन रविवार, 16 जुलाई 2023 की शाम अंबेडकर के अनुयायियों को इसकी भनक लगी और उन्होंने इस शराब दुकान में जाकर इस कुकृत्य का वीडियो बना डाला। इस तरह से चंद्रपुर का पेशाब कांड उजागर हुआ। 

जैस्वाल की शराब दुकान निशाने पर
शराब दुकान के पेशाब घर में लगे बैनर का वीडियो बनाने के बाद अंबेडकर अनुयायियों ने इसकी सूचना स्थानीय समाजसेवक सुनील दादा पाटील को दी। वे तुरंत वारदात स्थल पर पहुंच गये। उन्होंने शराब दुकान के प्रबंधन को फटकार लगायी और तत्काल दुर्गापुर पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को भांपते हुए वारदात स्थल पर पहुंच गई और वहां मौजूद प्रबंधन के कर्मचारी अंजया मोरगम, अजीत शेख एवं कोहपरे नामक आरोपियों को हिरासत में लिया। अंबेडकर अंकित बैनर को भी जब्त किया गया। बताया जाता है कि अंजया मोरगम इस शराब दुकान को संचालित कर रहा है। दुकान की जमीन उसके मालकियत की होने की जानकारी है।
 

शांतिपूर्ण माहौल में निषेध की दरकार, SDPO की कार्य सराहनीय
दुर्गापुर थाने में रविवार की देर रात तक अंबेडकर अनुयायियों का काफिला बढ़ता रहा। तनावपूर्ण स्थिति निर्माण होने की आशंका के मद्देनजर SDPO सुधीर नंदनवार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए स्वयं क्षुब्ध अनुयायियों को समझाते रहे। आरोपियों पर कठोर कार्रवाई का भरोसा दिलाया। प्राथमिक जांच के बाद एट्रासिटी भी दज्र करने का आश्वासन दिया। SDPO नंदनवार की समझदारी एवं शांतिपूर्ण अपील से कानून व सुव्यवस्था को बरकरार रखने में सहायता मिली। वहीं अंबेडकर अनुयायियों ने भी शांति का रास्ता अपनाते हुए कानूनी प्रक्रिया में साथ दिया। अब जिले के तमाम नेताओं द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से इस पेशाब कांड पर निषेध व्यक्त करने की दरकार है।
 

मंत्री व विधायकों ने विधानसभा में नहीं उठाया मामला
मध्य प्रदेश के सीधी कांड की तरह ही चंद्रपुर का पेशाब कांड गंभीर होने के बावजूद जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की ओर से अब तक कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है। और तो और इस मामले में विरोध दल के तौर पर कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्‌टीवार, विधायक सुभाष धोटे, विधायक प्रतीभा धानोरकर ने इस मामले को अब तक विधानसभा सदन में नहीं उठाया। वहीं विधायक किशोर जोरगेवार, विधायक बंटी भागडिया के अलावा विधायक सुधाकर अडबाले भी सदन में इस गंभीर मामले को उठाने की दशा में प्रयासरत नजर नहीं आते। इसके चलते SC समाज के वोटों की राजनीति करने वाले नेताओं को लेकर बाबासाहब के अनुयायियों में नाराजगी पनप रही है।