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भारत जोड़ने पहुंचे मुकुल वासनिक चंद्रपुर कांग्रेस के नेताओं को जोड़ने में विफल !

नाना पटोले, बालासाहब थोरात के बाद वासनिक के मंच पर भी गुटबाजी दिखी ?

विजय वडेट्‌टीवार व नरेश पुगलिया की अनुपस्थिति से कांग्रेस जोड़ो की जरूरत में फंस गये वासनिक


अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचारों पर कांग्रेस की चुप्पी व वासनिक की भूमिका संदेहास्पद

@चंद्रपुर
सोमवार, 31 अक्टूबर 2022 को स्थानीय होटल सिद्धार्थ प्रीमियर में आयोजित कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा संबंधित बैठक में राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक उपस्थित हुए। लेकिन कांग्रेस के भितर के गुटों को जोड़ने में नाकाम तमाम नेता चंद्रपुर में नाकाम ही दिखे। भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों पर निकले मुकुल वासनिक इस बैठक में न तो विजय वडेट्‌टीवार को जोड़ पाएं और न ही नरेश पुगलिया को जोड़ सकें। आपसी गुटबाजी में फंस चुकी चंद्रपुर जिले की कांग्रेस और यहां के नेताओं को न जोड़ पाने वाले आला नेता भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों पर भाषण देने लगे हैं। यह कांग्रेस के लिए चिंता व चिंतन का विषय होना चाहिये। अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचारों एवं मटके से पानी पीने के कारण मौत के घाट उतार दिये गये इंद्रकुमार मेघवाल की मौत पर मुकुल वासनिक एवं चंद्रपुर की कांग्रेस एकदम खामोश रही, इसके चलते चंद्रपुर कांग्रेस और मुकुल वासनिक के अनुसूचित जाति प्रेम पर भी अनेक सवाल उठने लगे हैं।

 

वडेट्‌टीवार व पुगलिया अनुपस्थित क्यों ?

होटल सिद्धार्थ प्रीमियर में आयोजित कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की पूर्व तैयारियों की अहम बैठक में जिले के 2 वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर लाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक बुरी तरह से विफल साबित हो गये। इसके पूर्व कांग्रेस को एकजुट करने का प्रयास नाना पटोले एवं बालासाहब थोरात ने किया था। परंतु उन्हें भी नाकामी ही मिली। कांग्रेस के अंदरुनी विवाद कभी खत्म ही नहीं हो पा रहे और ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा पर भाषण देना, महज एक खोखला नारा प्रतीत हो रहा है। विजय वडेट्‌टीवार एवं नरेश पुगलिया की अनुपस्थित को लेकर भारत जोड़ो की कांग्रेस की मंशा पर अनेक सवाल उठने लगे हैं।

सेक्युलर कांग्रेस का शफाक पर अब तक कोई फैसला नहीं

सेक्युलर कांग्रेस का फर्जी चोला ओढ़कर मुस्लिम नेतृत्व का खच्चीकरण करने का काम चलने का आरोप लगातार लग रहा है। कांग्रेस में बरसों से सेवा करने वाले सच्चे व मुस्लिम युवाओं में रोष है। कांग्रेस के NSUI के राष्ट्रीय महासचिव व महाराष्ट्र के प्रभारी नागेश करियप्पा ने 19 अक्तूबर 2022 को एक पत्र जारी कर चंद्रपुर के पडोली निवासी व एक मामूली ऑटो चालक के पुत्र शफाक शेख को NSUI का जिलाध्यक्ष बनाने नियुक्ति पत्र सौंपा था। चर्चा है कि इसके बाद चंद्रपुर से मुस्लिम विरोधी षड़यंत्र की सुई दिल्ली तक चूभो दी गई। इसके चलते राजनीतिक दबाव में आकर करियप्पा महोदय को महज 2 दिनों में ही अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद इन्हीं करियप्पा महोदय ने 21 अक्तूबर 2022 को एक पत्र जारी कर शफाक शेख की नियुक्ति रद्द करते हुए यश दत्तात्रेय को NSUI का दोबारा जिलाध्यक्ष बना दिया। इसके चलते चंद्रपुर के कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, NSUI में सक्रिय मुस्लिम युवाओं में घोर निराशा के साथ-साथ कांग्रेस के भितर के संघी विचारधारा की आलोचना होने लगी है। 

कांग्रेस के 17 प्रदेश प्रतिनिधि में मुस्लिम नेतृत्व पर अन्याय

19 सितंबर 2022 को दोपहर 2 बजे मुंबई में आयोजित प्रदेश प्रतिनिधि की बैठक में चंद्रपुर जिले से 17 कांग्रेसी शामिल हुए थे। लेकिन इन 17 प्रतिनिधियों में से एक भी प्रतिनिधि मुस्लिम समुदाय का नहीं था। क्या कांग्रेस, अपने मुस्लिम समर्थकों को केवल कांग्रेस का झंडा उठाने के ही काबिल समझते हैं ? जब प्रतिनिधि चुनने की बारी आती है, तब मुस्लिम नामों को शामिल कराने में कांग्रेस नाकाम क्यों हो जाती है ? यह सवाल तमाम समर्थकों और झंडा ढोने वाले मुस्लिमों के बीच सदैव चर्चा का विषय बना रहता है। चंद्रपुर समेत देश के अनेक इलाकों में बिलकिस बानो को न्याय देने के लिए विरोध प्रदर्शन हुए। परंतु चंद्रपुर जिले में सक्रिय कांग्रेस के आला नेता और उनके अल्पसंख्यक सेल के समर्थकों ने गजब की चुप्पी साध ली थी। भाजपा के खिलाफ विरोधी दल के तौर पर कांग्रेस को देखा जाता है, लेकिन यहां कांग्रेस व उनका अल्पसंख्यक सेल महज एक कठपुतली की तरह नजर आया। जबकि गत दिनों में ईद के दौरान इसी कांग्रेस के आला नेता मुस्लिम बंधुओं का स्वागत करते हुए देखे गये। ईद के होर्डिंग्स से पूरे शहर को पाट दिया गया था। यह दोहरा चेहरा व चरित्र मुस्लिम समाज के लिए चिंतन का विषय है।

सांसद धानोरकर की शिकायत कांग्रेस के डस्टबीन में ?

कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर ने 4 अप्रैल 2020 को नई दिल्ली के 24 अकबर रोड के कांग्रेस मुख्यालय में विधायक प्रतिभा धानोरकर, विधायक सुभाष धोटे समेत अन्य अनेक नेताओं व विधायकों के दल के साथ पहुंचकर तत्कालीन पालकमंत्री हटाओ अभियान का आगाज किया था। बीते ढ़ाई वर्ष में वडेट्‌टीवार के खिलाफ की शिकायत पर इन्हें कोई सफलता नहीं मिली। पूर्व पालकमंत्री विजय वडेट्‌टीवार हटाये नहीं जा सकें। लेकिन उद्धव ठाकरे व एकनाथ शिंदे के खिंचतान में महाराष्ट्र सरकार गिर गई। दिल्ली से हुई देरी के चलते बालू धानोरकर की साख पर सवाल उठे। कुल मिलाकर कांग्रेस का अंदरुनी कलह अब मुकुल वासनिक के मंच पर भी नजर आ गया है। बावजूद भारत जोड़ो का खोखला नारा जनता पर थोपा जाना, कितना हास्यास्पद है ?